एक ही परिवार के 19 सदस्य कोरोना पॉजिटिव इसमें 86 वर्ष की बुजुर्ग से लेकर 2 वर्ष की बच्ची तक ने घर मे रहकर कोरोना को दी मात।

बैतूल । चिचोली के पास एक गांव है असाडी। यहां पर एक ही परिवार के 19 लोग कोरोना पॉजिटिव हुए। इसमे 86 वर्ष के बुजुर्ग से लेकर युवा और बच्चे भी शामिल है। सभी ने इस संसाधन विहीन गांव में घर मे ही रहकर कोरोना को मात दी। सिर्फ समय पर सही उपचार और हौसले के दम पर। इस शुक्ला परिवार के एक सदस्य का चिकित्सकीय ज्ञान इस परिवार ही नही पूरे गांव के लिए वरदान साबित हुआ। यहा बात हो रही है असाडी के शुक्ला परिवार की। इनके यहा 8 अप्रैल को वायरस इंटर हुआ। इसके बाद इस सयुंक्त परिवार के सदस्य इसकी चपेट में आते चले गए।  इनमें दो वर्ष की एक अल्पायु बेटी के साथ 86 वर्ष की एक बुजुर्ग महिला भी शामिल थी ।चिंता का विषय यह था कि परिवार के बुजुर्ग सदस्यों में अधिकांश लोग हाइपरटेंशन, डायबिटीज और अस्थमा के मरीज हैं.
इस भयावह आपदा के बाद परिवार के लोगों की चिंताएं लगातार बढऩे लगी. असाढ़ी जैसे सुविधा विहीन गांव में न तो कोई स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध थी और न ही इतने लोगों को किसी हॉस्पिटल में भर्ती कराना संभव था .इन विषम परिस्थितियों के बीच ग्रामीण क्षेत्र मे ही कार्य कर रहा इसी परिवार का युवा डॉक्टर बेटा संकटमोचन बनकर सामने आया.उसने पूरे परिवार को संभालने की चुनौती स्वीकार की और 28 अप्रैल से ही परिवार के सभी सदस्यों को आइसोलेट कर उनका उपचार शुरू कर दिया।
डॉक्टर नीलम शुक्ला ने बताया कि परिवार के 19 लोगों के कोरोना संक्रमित होने पर सभी को संभालना एक चुनौतीपूर्ण कार्य था . लेकिन उन्होंने इस चुनौती को स्वीकार किया और सभी के उपचार में जुट गए. इस कार्य में उनके भाई भरत शुक्ला ने  उनका बखूबी साथ निभाया. डॉक्टर नीलम के मुताबिक उन्होंने परिवार के सभी लोगों को आइसोलेट किया और अपने अनुभवों और नागपुर , भोपाल और पाढर  के विशेषज्ञ डॉक्टरों की सलाह से सभी का उपचार शुरू किया. इसमें अस्थमा ,डायबिटीज एवं हाइपरटेंशन से पीड़ित बुजुर्गों का दिन रात ध्यान रखना पड़ा . लगातार मेहनत के बाद उन्होंने परिवार के सभी सदस्यों को कोरोना जैसी महामारी से निजात दिला दी। .डॉक्टर शुक्ला ने बताया कि वह घर में एकमात्र स्वस्थ व्यक्ति थे इसलिए उन्हे ही हर भूमिका अदा करनी पड़ी।