लाकडाउन मे फसे बच्चे की भावना का चित्रण।

सिवनी मालवा - लाकडाउन मे फसे पत्रकार विनीत राठी के पुत्र हिमांशु राठी जो बेंगलुरु मे इंजीनियर है वह लाकडाउन के चलते अपने शहर सिवनी मालवा नही आ पाये बेंगलुरु मे रहकर अपनी माँ नीरू राठी के प्रति भावना व्यक्त की हिमांशु राठी ने कहा  कभी सोचा नहीं था कि ऐसा भी कुछ होगा जिंदगी में अकेले रहने का मतलब समझना होगा घर से दूर तो सालों से रहा था पर कभी लगा नहीं की मां तेरे बिनामत इतना अधूरा हो जाऊंगा वैसे तो तीन चार महीने भी निकल जाते थे पर अब हर दिन महीने जैसा लगने लगा आज समझ आता है एक मां या एक महिला की अहमियत कि दिन से रात तक वह क्या करती है फिर भी कभी उसका क्रेडिट नहीं लेती सबसे मजे की बात जो सवाल हमें बड़ा आसान लगता था आज उसका जवाब नहीं आता बेटा क्या बनाऊं और मेरा  जवाब कुछ भी मम्मी पर आज वो कुछ भी मुझे समझ ही नहीं आता मेरी मां दुनिया की सबसे अच्छी मां है इसलिए आज यहां रह पा रहा हूं मां ने बचपन से जो सिखा दिया काम उसी से अपना पेट पाल रहा हूं पर कितना भी कर लूं मां आज भी तेरे खाने की याद बहुत आती है आज सोचता हूं कि कितने खुशनसीब है वो लोग जो आज भी अपने मां के हाथ का खाना खाते है मेरा बच्चा बोल कर कुछ भी दे देती है अब तो आपके एक फोन पर इतना सुकून आता है कि दिन भर की परेशानी गायब हो जाती है दोस्त सबके बहुत हैं परंतु आज सबको अपना परिवार याद आ रहा है मां बाप का प्यार सबसे बड़ी दौलत है जिंदगी में पापा के साथ रहने का मौका इतने टाइम पहली बार मिलता वह भी चूक गया मां पापा मेरे लिए दोस्त गुरु और मेरे लिए मेरी दुनिया है