मध्य प्रदेश मेडिकल यूनिवर्सिटी में प्रायोगिक परीक्षाओं के नाम पर हो रही धांधली।

 जबलपुर। मेडिकल यूनवर्सिटी  जिसमें  पिछली बार तक  नियम था कि यूनिवर्सिटी  का गोपनीय विभाग व्याख्याताओं के नाम का चयन कर  अपने स्तर पर कॉलेजों को भेज रहे थे लेकिन इस बार चुकी नियम  में परिवर्तन कर दिए गए हैं कि संबंधित कॉलेज जहां प्रायोगिक  परीक्षाएं होनी है उनसे 3 नाम मांगे जा रहे हैं एवं इनमें से प्रायोगिक परीक्षाओं के पैनल भेजे जा रहे हैं। *नर्सिंग यूनियन* के *राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हर्षवर्धन श्रृंगी*  ने बताया कि  यदि जिस कॉलेज में प्रायोगिक परीक्षाएं हो रही है वहीं यदि प्रायोगिक परीक्षक का चयन करता है तो इसमें गोपनीयता नहीं रहा पाएगी परीक्षा के प्रति वह कहीं ना कहीं गलत साबित होगा जिससे कॉलेज वाला अपनी मनमर्जी के  परीक्षक बुलवा के अपने हिसाब से प्रायोगिक परीक्षाएं संपन्न करवाएंगे एवं अपने हिसाब से ही विद्यार्थियों के नंबर दिलवा एंगे और पैसों की लेनदेन होने के अंदेशे  को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। *एनएसयूआई मेडिकल* *विंग के समन्वयक रवि परमार* ने कहा कि अगर विश्वविद्यालय प्रशासन नियम अनुसार कार्य नहीं करेगा तो एनएसयूआई मेडिकल विंग इसकी शिकायत मुख्यमंत्री ओर राज्यपाल से करेगे  । रवि परमार ने  बताया कि  जिस तरह विश्वविद्यालय की परीक्षाओं के दौरान गड़बड़ियों के आरोप सामने आए है , वैसे ही प्रायोगिक परीक्षा में गड़बड़ी ना हो। प्रायोगिक परीक्षाओं के लिए परीक्षकों का चयन यूनिवर्सिटी का गोपनीय विभाग स्वयं करें पहले जो  प्रक्रिया थी उसके अनुसार   गोपनीयता एवं परीक्षा के जो मानक है बने रहे और भ्रष्टाचार को होने से  रोका जा सके।