किसान एकता संघ मध्य प्रदेश द्वारा यह कहा गया प्रजातंत्र_में_अराजकता_का_बोलबाला।

तेज बहादुर सिंह परिहार प्रदेश सचिव किसान एकता संघ मध्य प्रदेश द्वारा यह कहा गया प्रजातंत्र_में_अराजकता_का_बोलबाला
 जनता का जनता के लिए जनता द्वारा चुनी गई सरकार में लोग विधायिका के मंच पर अपने आराध्य की शपथ लेकर "सत्यनिष्ठा" से जनता की भलाई के लिए कार्य करने का संकल्प लेते हैं लगता है कि चुने हुए लोगों पर सत्यनिष्ठा के वचन सिर्फ शपथ पत्र के कागज पर ही सिमट कर रह जाते हैं।कार्यरूप में उनका जनता से कोई सरोकार नहीं रह जाता सिर्फ स्वहित-परिवारवाद और अपने छोट भइयों को एन केन प्रकारेण लाभ दिलाने की होड़ सी लग जाती है,जनता के बीच जाकर चुनावों के समय दिए गए वचन सिर्फ दिवास्वप्न होते हैं। जनता बार-बार जनप्रतिनिधि तो बदलती है किंतु राज सिंहासन पर विराजमान होने के बाद माननीय के वचन जनता को मात्र मृग मरीचिका ही दिखाई देता है जहां जनता अपने हितों की तलाश में मृग मरीचिका में फंसे हुए मृग के समान तड़पते हुए अपनी जीवनचर्या का निर्वहन करता है।प्रशासनिक सेवाओं में विराजमान श्रीमान अधिकारी/कर्मचारी महोदय जहां अपने कर्तव्यों के प्रति वफादारी से निर्वहन करने का वचन लेते हैं वही आधुनिक चकाचौंध की होड़ में अपने ईमान कर्तव्य को बेचते हुए दुम दबाकर माननीयों के पीछे उनके इशारे पर कर्तव्य विमुख कार्यों में संलिप्त है ।अपना व माननीयों का जेब आम लोगों का शोषण करते हुए भर रहे हैं।
प्रजातंत्र की परिकल्पना के समय मनीषियों द्वारा प्रजातंत्र के विमुख तर्क देते हुए कहा गया कि "प्रजातंत्र भीड़तंत्र में तब्दील होगा जिसकी लाठी उसकी भैंस भीड़तंत्र में सच का गला घोटा जाएगा"और सच की आवाज को वलात दबाने का प्रयास होगा जो आज भारतीय व्यवस्था में स्पष्ट दिखाई दे रहा है सरकार आती जाती है लोग बदलते हैं पर पदाशीन होने वाले अपनी कार्यशैली नहीं बदल पा रहे हैं जहां सच मर रहा है और आम जन  त्राहिमाम-त्राहिमाम की स्थिति में नतमस्तक है फिर भी कोई उनकी संवेदनाओं को नहीं सुन समझ पा रहा है हर बार के चुनाव में सिर्फ और सिर्फ औपचारिकता का निर्वहन होता है।