भारत रत्न से भी बड़े थे...........

पिछले कुछ दिनों से स्वतंत्रता संग्राम के महान योद्धा वीर सावरकर के संबंध में अनर्गल टिप्पणियां की जा रही है सावरकर की देश की आजादी के लिए किए गए योगदान को गलत तरीके से प्रस्तुत कर जो अपने मुंह मियां मिट्ठू हो रहे हैं उनके परिवार का भी स्वतंत्रता संग्राम में योगदान रहा है मैंने वीर सावरकर को देखा तो नहीं लेकिन उनके जीवन के पढ़ने के बाद मुझे ऐसा लगता है कि मैं उनसे परिचित हो गया हो ना केवल में अपितु वह प्रत्येक भारतीय जिसने वीर सावरकर को पढ़ा हो वह उनके योगदान को नहीं भुला सकता मुंह से थूक उड़ाने वाले और कुछ भी बोलने से पहले ना सोचने वाले यह भूल जाते हैं की वीर सावरकर को कितनी यात्राएं अंग्रेजों ने दी मुंबई से चेन्नई और चेन्नई से पोर्ट ब्लेयर जिस पानी के जहाज से वीर सावरकर को ले जाया गया पूरा इतिहास नहीं पढ़ सकते तो पानी का जहाज और पोर्ट ब्लेयर की सेल्यूलर जेल के बारे में ही पढ़ लो दो सगे भाई एक ही जेल में एक ही जहाज में टीम के कनस्तर में सोच करना और उसी के बाजू में सो जाना आटे में कंकर ही कंकर पेपर पढ़ने को नहीं मिलना कोल्हू के तेल निकालने में जानवर की जगह इंसान को बांधना जो रस्सी वे स्वयं अपने हाथों से बनाए उसी का फंदा उसके गले में डालना बहुत तपस्या संघर्ष वीर सावरकर जैसे लोगों ने किया तब देश को आजादी मिली आज जो लोग वातानुकूलित कमरों में रह रहे हैं हवाई जहाज से चल फिर रहे हैं वह क्या जाने कि वीर सावरकर ने आजादी की लड़ाई में क्या योगदान दिया मेरा भारत के प्रधानमंत्री से अनुरोध है  वीर सावरकर की जीवनी को कक्षा 5 से उच्च शिक्षा तक कोर्स में अवश्य पढ़ाया जाए ताकि भारत के बच्चों को वीर सावरकर को समझने का मौका मिल सके मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान मेरे अनुरोध पर पोर्ट ब्लेयर को मां तुझे प्रणाम यात्रा में शामिल किया था ताकि मध्य प्रदेश के छात्र सरकारी खर्चे पर पोर्ट ब्लेयर जा सके और वीर सावरकर के योगदान को देख सके वीर सावरकर के परिवार ने कभी भारत रत्न नहीं मांगा लेकिन वे भारत रत्न से भी बड़े थे उन्हें यह सम्मान दिया जाना चाहिए।