दलित छात्रा ने फांसी लगाकर की आत्महत्या, अन्य छात्राओं ने नेशनल हाइवे पर लगाया जाम, मौके पर पहुंचे एसडीएम और सीएसपी*

 


छतरपुर। जिले के हरिजन छात्रावास अपनी बदहाली को लेकर हमेशा चर्चा में रहे हैं कारण कि इन छात्रावासों में पदस्थ अधीक्षक 24 घंटे छात्रावास में नहीं रहते। छात्रावास के अधीक्षकों पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगातार लगते रहे परंतु आदिम जाति कल्याण विभाग के डीईओ आरपी भद्रसेन मामले को हमेशा दबाकर अधीक्षकों से नजायज वसूली करते आ रहे हैं। जिसके कारण अधीक्षकों के द्वारा छात्रों को दी जाने वाली सुविधाओं में कटौती की जाती रही है। इस संबंध में कई बार छात्र छात्राओं ने ज्ञापन भी छतरपुर कलेक्टर को सौंपा परंतु अभी तक इन भ्रष्ट अधीक्षकों के खिलाफ कोई ठोस कार्यवाही नहीं हो रही है। इससे इनके हौसले बुलंद हैं। आज इसी का परिणाम हुआ कि अनुसूचित कन्या सीनियर छात्रावास में चंदेरा की रहने वाली छात्रा रिचा अहिरवार जो कि कक्षा 11वीं में पढ़ती थी उसने छात्रावास में अधीक्षक के चोरी के इल्जाम के आरोप लगाने पर आत्महत्या कर ली है। जिसका विरोध छात्राओं ने महोबा रोड स्थित नेशनल हाइवे पर जाम लगाकर शुरु कर दिया। घटना की खबर पूरे शहर में आग की तरह फैल गई जिससे दलित वर्ग के लोगों में काफी आक्रोश देखा गया है। हालांकि  प्रशासन के सभी अधिकारी मौके पर पहुंच चुके थे परंतु मामला तूल पकड़ा जा रहा था। छात्रा के परिवार के लोगों को सूचना दे दी गई है और परिवार के लोग भी मौके पर आ गए हैं। छात्रावास की अधीक्षिका सुशीला पाठक का छात्राओं के प्रति व्यवहार ठीक नहीं था। जिसके चलते कई बार छात्राओं ने अधीक्षिका की शिकायत भी की थी परंतु सुशीला पाठक चार हॉस्टलों का अतिरिक्त प्रभार लिए हुए हैं और डीईओ को हर महीने पांच से दस हजार रुपए देती है जिसके कारण डीईओ ट्राइवल अधीक्षिका के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं करते। इस मामले की निष्पक्ष जांच किए जाने की मांग कई संगठनों ने की है। गौरतलब हो कि मप्र के पूर्व मुुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी इस अधीक्षिका को औचक निरीक्षण के दौरान निलंबित किया था। परंतु अपने पावर और रुतवे के चलते यह चार छात्रावासों का प्रभार लिए हुए है और छात्राओं को हमेशा प्रताडि़त करती है। जिले के तत्कालीन प्रभारी सचिव जेएन कंसोटिया ने भी कन्या छात्रावास का औचक निरीक्षण किया था तब भी इस अधीक्षिका की शिकायत छात्राओं ने गुप्त रूप से प्रभारी सचिव से की थी। परंतु अधीक्षिका अपने पावर और पैसे के दम पर चार छात्रावासों का प्रभार लेकर छात्राओं की मूल सुविधाओं को वंचित करती आ रही है।